Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi – छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन परिचय 2023

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय, कौन थे, इतिहास, मृत्यु कब और कैसे हुई, युद्ध, जयंती, उनके वंशज,निबंध, कविता हिंदी में ! (Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi) History Death, Story, Jayanti, Family, Essay, Speech etc !!

छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक थे Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। वे बहुत बहादुर, बुद्धिमानी, शौर्य और दयालु शासक थे। वैसे तो भारत शुरू से ही शासकों और राजाओ का देश रहा है।उन्हीं में से एक शिवाजी महाराज जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi

शिवाजी बहुमुखी प्रतिभा के बहुत धनी थे, उन्होंने भारत देश के निर्माण के लिए बहुत से कार्य किये, वे एक महान देशभक्त भी थे, जो भारत माता के लिए अपना जीवन तक न्योछावर करने को तैयार थे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवन में बहुत से युद्ध लड़े है। इनका पूरा नाम शिवाजी राजे भोसलें था। Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन परिचय ! Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi

शिवजी महाराज का पूरा नाम “शिवाजी शहाजी राजे भोसले” था। इनका जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी  दुर्गे पुणे (भारत) में हुआ था। ये कुर्मी जाति से सम्बंध रखते थे और इनका गौत्र कश्यप था। और इनकी पत्नी का नाम साईबाई, सकबारबाई, पुतलाबाई, सोयाराबाई।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi | History - छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन परिचय 2023

इनकी माता का नाम जीजाबाई,और पिता का नाम शहाजी राजे था। इनकी कई बेटियां थी इनके नाम कुछ इस प्रकार है – बेटी  दिपाबाई, सखुबाई, राजकुंवरबाई, रानुबाई, कमलाबाई, अंबिकाबाई। इनके बेटे का नाम
संभाजी भोसले या शम्भू जी राजे, और राजाराम।

छत्रपति शिवाजी महाराज जी का जन्म और पारिवारिक जीवन !

शिवाजी महाराज जी का जन्म पुणे जिले के जुन्नार गाँव के शिवनेरी किले में 1630 में हुआ था। शिवाजी का नाम उनकी माता ने भगवान “शिवाई” के नाम पर रखा था। क्योकि शिवाजी के काम किसी भगवान से कम नही थे। वो सब का ध्यान रखते थे, सबके बारे में कार्य करते थे।

शिवाजी की माता भगवान “शिवाई” को बहुत मानती थी। शिवाजी के पिता बीजापुर के जनरल थे, शिवाजी अपनी माता के बेहद  करीब माने जाते थे। उनकी माता धार्मिक प्रवत्ति से बेहद जुड़ी हुई थी.

• योगी आदित्यनाथ का जीवन परिचय

• Satish Kushwaha (Satish K Videos) Success Story In Hindi

अपनी माँ का प्रभाव शिवाजी पर भी पड़ गया था । उन्होंने रामायण व महाभारत से बहुत कुछ सीखा और उस से बहुत ज्ञान प्राप्त किया। शिवाजी को हिंदुत्व का बहुत ज्यादा ज्ञान था, उन्होंने अपने पूरे जीवन में हिन्दू धर्म को दिल से अपनाया और हिन्दु भाइयो के लिए बहुत से कार्य किये।

शिवाजी के पिता ने दूसरी शादी कर कर्नाटक बस गए। और बेटे शिवा और उनकी पत्नी जिजाबाई को किले की देख रेख करने वाले दादोजी कोंडदेव के पास छोड़ गए।

शिवाजी का बचपन – Shivaji Childhood

कहा जाता है शिवाजी का बचपन बहुत ही कष्टों से भरा हुआ था। शिवाजी अपने पिता के प्यार ज्यादा पा ना सके। कहा जाता है कि इनके पिता शाहजी भोसले अपनी दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते पर ज्यादा प्यार जताते थे। उनका ज्यादा ध्यान रखते थे। जबकि शिवाजी की मां जीजाबाई एक साधारण जीवन व्यतीत कर रही थीं।

लेकिन जीजाबाई असाधारण प्रतिभा संपन्न होने के साथ उच्च कुल की महिला थीं। धार्मिक प्रवृत्ति की होने के कारण उन्होंने अपने बेटे को हिन्दू धर्म की आदर्श गाथा सुनाकर बड़ा किया था। शिवाजी को महान बनने की प्रेरणा अपनी मां से बचपन से ही मिली थी ।

शिवाजी की शिक्षा – Shivaji Education

शिवाजी महाराज रणजीत सिंह और हैदरअली की तरह एक अच्छी शिक्षा तो नही मिली । लेकिन उन्हें जितना भी सिखाया जाता था । वो वे बहुत मन लगाकर सीखते थे।

शिवाजी को हिन्दू धर्म की शिक्षा कोंडदेव से भी मिली थी,शिवाजी बचपन से ही बुद्धिमानी व तेज दिमाग के थे, उन्होंने बहुत अधिक शिक्षा ग्रहण तो नहीं की, लेकिन उन्हें जितना भी सिखाया जाता। वह बड़े ही ध्यान लगाकर सुनते थे। शिवाजी को महाभारत, रामायण अन्य धर्म ग्रंथों की जानकारी भी दी गईं थी।

शिवाजी 12 साल की उम्र में अपने भाई संभाजी और माँ के साथ बैंगलोर में शिक्षा ग्रहण की। 12 साल की उम्र में ही बैंगलोर में रहकर उन्होंने 12 साल की उम्र में साईंबाई से विवाह किया।

शिवाजी के गुरु रामदास ने उन्हें मराठो को एक साथ रहने एक दूसरे का साथ देने का पाठ पढ़ाया था। शिवाजी ने अपनी माँ और गुरु से प्रेरित होकर बलसाली और साहसी योद्धा बन गए।

छत्रपति शिवाजी महाराज व मुगलों के बीच लड़ाई ?

शिवाजी के सबसे बड़े दुश्मन मुग़ल माने जाते है 1657 में शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी उस समय मुगलो के किले औरंगजेब के हक में थे, औरंगजेब ने शाइस्ता खान की सेना को शिवाजी के खिलाफ लेकर आ गया और उन्होंने पुना पर कब्जा कर लिया

और एक रात शिवाजी ने अचानक पुना पर जोरदार हमला कर दिया, बहुत से मुग़ल सेना के लोग मारे गए, और शाइस्ता खान वहाँ से भाग गया। 1664 में शिवाजी ने सूरत में अपना झंडा फहराया दिया ।

लेकिन फिर भी औरंगजेब ने अपनी हार नहीं मानी और औरंगजेब अम्बर के राजा जय सिंह और दिलीर सिंह को शिवाजी के खिलाफ ले आया। शिवाजी के जीते हुए सभी किले जय सिंह जीत लेता है और इस हार के बाद शिवाजी को मुगलों के साथ समझोता करना पड़ गया और शिवाजी ने 23 किलों के बदले मुगलों का साथ दिया।

शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक ?

शिवाजी महाराज ने हिन्दू राज्य की स्थापना साल 1674 की। और अपना राज्याभिषेक कराया। लेकिन सभी ब्राह्मण ने उनका जोरदार विरोध किया और राज्याभिषेक करने से मना कर दिया क्योकि वो एक कुर्मी जाति से सम्बंध रखते थे और इस जाति को उस समय शुद्र ही माना जाता था.

फिर शिवजी ने बनारस के ब्राह्मणों को भी आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने भी आने से मना कर दिया और कुछ समय बाद उन्हें किसी तरह मनाकर लाया गया.

और शिवाजी का राज्याभिषेक हो पाया। शिवाजी के राज्याभिषेक कार्यक्रम में दूर से विदेशी व्यापारियों और अन्य राज्यों से भी आमंत्रित गया था। काशी के पंडित भट्ट को इस समारोह में विशेष रूप से बुलाया गया था। और शिवाजी को छत्रपति की उपाधि दी गई। उपाधि मिलने के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। इसके बाद उनका फिर से राज्याभिषेक किया गया।

धार्मिक के प्रति नीति ?

शिवाजी महाराज एक कट्टर हिन्दू थे लेकिन फिर भी वो सभी धर्मो का आदर भख़ूबी करते थे। शिवाजी ने अपना राष्ट्रीय ध्वज नारंगी रखा था। जो हिंदुत्व का प्रतीक हैं। लेकिन उनके साम्राज्य में मुसलमानों को पूरी तरह धार्मिक आजादी थी।

शिवाजी मस्जिद निर्माण के लिए मुसलमानों को धन राशि भी देते थे। उनके ह्रदय में हिन्दू, मुसलमान, संतो पंडितों, फकीरों, के प्रति सम्मान की बहुत ज्यादा भावना थी। मुख्य रूप से तो शिवाजी ने हिन्दू शिक्षा और मूल्यों पर ज्यादा ध्यान दिया ।।

शिवाजी महाराज की मृत्यु – Shivaji Maharaj Death

शिवाजी महाराज की तबियत अचानक खराब रहने लगी थी और वे लगातार 3 हफ़्तों तक बुखार में रहे और बहुत ही कम उम्र में ही दुनिया से चले गए और 3 अप्रैल 1680 को उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद इनके पुत्र को उनकी राजगद्दी मिल गयी।

शिवाजी के मरने के बाद साल 1681 में औरंगजेब ने मराठों, गोलकुंड, आदिल शाही के प्रदेशों पर कब्जा करने के लिए दक्षिण भारत में अपनी लाखो सेना के साथ निकल पड़ा। Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi

मराठे आज भी शिवाजी को अपना भगवान मानते है और उनकी पूजा करते है

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती हर साल की तरह इस साल भी शिवाजी महाराज की जयंती 19 फ़रवरी को मनाई जाएगी ।

Leave a Comment